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पहला प्यार कॉंटेस्ट

basantbhatt
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बात उस समय की है | जब में करीब १४-15 साल का था | दीन दुनिया से अनजान वह में इसलिए कह रहा हूँ | कुयुकी में अपने आप में मस्त रहने वालों में था | मेरे दोस्त भी बहुत कम थे|अक्सर मुझे मतलबी दोस्त बहुत मिलते थे | जो कुछ् मतलब के लिए मुझ से दोस्ती करते फिर मतलब निकलने के बाद मिलना भी छोड़ देते है | शायद कभी आपका सामना भी कभी एसे लोगो से हुआ होगा | अगर नहीं हुआ हो तो भगवान करें आप लोगो को एसे लोग कभी न मिले , इन सब बातो का मेरे जीवन में काफी बुरा प्रभाव पड़ा. अब में अन्य लोगों से दूर भागने लगा मेरी दुनिया मुझ से शुरू होती और मुझ में ही ख़त्म हो जाती | में चुप सा रहने लगा था |
कोई मुझ से दोस्ती करने की कोशिस भी करता तो में उससे बचने की कोशिश करने लगता | मेरी इन हरकतों के कारण मेरे बचे हुए दोस्त भी मुझसे भागने लगते थे | लेकिन कहते है | आदमी की जिन्दगी हर समय एक सा नहीं रहता है | मेरे साथ भी कुछ एसा ही हुआ | एक दिन में आपने छोटी दुकान पी सी ओ में भेट ग्राहक का इंतजार कर रहा था | तभी दरवाजा खुला और सामने एक लड़की थी | वह बड़े प्यार से बोली क्या फोन इस्तेमाल कर सकती हू मेने कहा हां बिलकुल बाकि मेरे जुबान में ही दबकर रह गया | में कभी किसी लड़की को सीधे मुह नहीं देखता था | पर न जाने आज मुझे क्या हो गया था | में कुछ समझ नहीं पाया था | में उसको को घूरता रहा काफी देर तक वह फोन लगाते रही शायद उसका फोन बीजी था |
काफी देर में उसका फोन लगा वह मुस्करा कर बात कर रही थी | में उसकों देखा कर मुस्करा रहा था | तभी उसने मुझसे से मेरा फोन नंबर माँगा मैंने चोकते हुए क्या चाहिए आपको उसने फिर दोहाया फोन नंबर मुझे फिर भी नही सुनाई दिया | अब झलाकर बोली इस फोन का नंबर क्या है | मेने उसे अपना नंबर बताया उसने नम्बर फोन पर किसी को बताया और फोन कहा हा कोई बात नही आप इंतजार कर सकती है |
तभी घंटी बजी उसने फोन उठाया और वह मुस्कराते हुए बात करने लगी और हम भी उसकों मुस्कराते देख कर खुशी से फुले नहीं समां रहे थे | तभी हमारी खुशियों में बज्रपात हो गया | उसने फोन के रिसीवर पर हाथ रखा और बड़े प्यार बोली भय्या क्या आप ५ मिनट के लिए बाहर जा सकते है | हम टूटे हुए दिल से बाहर आ गए हम उसे सीसे देखते रहे वह मुस्करा – मुस्करा कर बात करती रही और दिल को तोड़ती रही जैसे कसाई बकरे को धीरे धीरे हलाल करता है उसी तरह मेरा दिल भी टूट कर रोने लगा |
में भगवान से मन ही मन कहने लगा अगर उस लड़की के दिल मेरे लिए थोडा सा प्यार न था | तो मुझ पत्थर दिल में आपने प्यार अनुभूति क्यों जगाई आज पहले भी कितनी लडकिया आई पर मेंने कभी किसी को न देखा आज पहली बार किसी लड़की के लिए मेरा दी मचला वह भी मेरी न हो पाई कितने ही खवाब देख डाले उसको देखकर मगर में उसके खवाब में न आ सका में आज समझ न पाया उसे प्यार कहो या आकर्षण |

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